दिल्ली दंगे से संबंधित गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल पुलिस को आदेश दिया है अदालत ने कहा कि आरोपपत्र में गवाहों के नाम उजागर नहीं करना चाहिए था|
दरअसल, पुलिस ने अदालत को बताया कि अति सुरक्षित ज़ोन में रखे गए 15 गवाहों में से 3 से आरोपियों की तरफ से कुछ लोगों ने संपर्क किया है| अदालत ने आरोपियों के वकील से आरोपपत्र की प्रति वापस मांग ली है|
दिल्ली पुलिस ने अदालत से आरोपियों से आरोपपत्र वापस लेने के लिए अनुमति मांगी| कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने इस याचिका को मंज़ूर कर लिया|
वह आरोपपत्र दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बीते 16 सितंबर को अदालत में दाखिल किया था| अदालत ने कहा कि कोई भी प्राधिकरण या व्यक्ति सुरक्षित गवाहों के नामों का खुलासा नहीं कर सकता है|
जांच अधिकारी की गलती
अदालत ने यह भी गौर किया कि यह गलती जांच अधिकारी के स्तर पर हुई है| उसे सुरक्षित गवाहों के नामों का खुलासा नही करना चाहिए था| अदालत ने जांच अधिकारी को कहा है कि इन गवाहों की सुरक्षा के लिये तुरंत आला अधिकारीयों से आदेश प्राप्त कर सुरक्षा देने का आदेश पारित किया|
News Source: KhabarTv
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