विदुर और महाराज धृतराष्ट्र के बीच हुई बातचीत में कई चीज़े सीखने को मिल सकती हैं|
तो आइये जानते हैं दोनों की बातचीत के अंश
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
यह उद्योगपर्व के पैंतीसवें भाग का 44वां श्लोक है, इनमे विदुर ने कुछ ऐसी सीखें दी हैं जिनसे जीवन में धन का सुख मिलेग|
पहला- विदुर कहते हैं कि अच्छे कामों को करने से ही लक्ष्मी अर्थात रुपया किसी के पास टिकता है तथा दूसरों को हानि पहुंचा कर या छल से कमाया धन कभी नहीं टिकता है|
दूसरा- सही जगह निवेश करने से लोगों का पैसा बढ़ सकता है लेकिन गलत स्कीमों और गलत जगह निवेश से उसे पैसों की हानि होती है|
तीसरा- जहां धन काम खर्च कर के काम किया जा सकता है वहां ज़्यादा खर्च करने तथा दूसरे को दिखने के लिए किये गए खर्च से आपको ही हानि हो सकती है|
चौथा- जीवन में धैर्य की कमी हमेशा हानिकारक होती है| धैर्यवान व्यक्ति ही जीवन में आगे बढ़ता है और अधीर व्यक्ति अपना जीवन स्वयं बर्बाद कर लेता है|
News Source: Bhaskarnews
Also Read: The Consumer Protection Act 2019 Comes Into Force From Today