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हॉर्स शू केकड़े के नीले खून से बनेगी कोरोना वैक्सीन,11 लाख रु. लीटर है कीमत

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आपको बता दे की दुनिया में एक ऐसा जीव है जिसका खून काफी बेशकीमती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस जीव के खून से कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाई जा सकती है. यह इकलौता ऐसा जीव है जिसके खून के लिए दवा कंपनियां काफी खर्च करती हैं. क्योंकि इस जीव के नीले खून से वैक्सीन, दवाएं और स्टराइल लिक्विड्स(Sterile liquids) बनाया जाता हैं. आपको बता दे की इस जीव का नाम हॉर्सशू क्रैब (Horseshoe Crab) है |   यह एक दुर्लभ प्रजाति का केकड़ा है. और इसकी सबसे दिलचस्प बात यह है कि , इस जीव के एक लीटर नीले खून की कीमत लगभग 11 लाख रुपये है. जानकार बताते हैं कि हॉर्स शू केकड़ा दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक हैं जिनका अस्तित्व  पृथ्वी पर कम से कम 45 करोड़ साल पहले से है | कई दवा कंपनियों का मानना है कि इस जीव के खून से बहुत सारी दवाओं को सुरक्षित बनाया जाता है. इसके खून में लिमुलस अमीबोसाइट लाइसेट (limulus amebocyte lysate) नाम का तत्व होता है जो शरीर में एंडोटॉक्सिन (endotoxin) नाम का बुरा रासायनिक तत्व को ख़त्म करता है , आपको बता दे की ये तत्व किसी भी संक्रमण के दौरान आपके शरीर में बनता है. अटलांटिक(atlantic), हिंद और प्रशांत महासागर में पाए जाने वाले हॉर्स शू केकड़े , बसंत ऋतु से मई – जून के माह तक दिखाई देते हैं. इनकी सबसे ख़ास बात तो यह कि पूर्णिमा के वक्त हाई टाइड में यह समुद्र की सतह तक आ जाते हैं. आपको बता दे की इनके खून को दुनिया का सबसे महंगा तरल पदार्थ भी कहा जाता है. बताया जाता है कि हॉर्स शू केकड़े के खून का इस्तेमाल साल 1970 से वैज्ञानिक कर रहे हैं. हॉर्स शू केकड़े के नीले खून में तांबा मौजूद होता है. साथ ही इनमे एक ख़ास रसायन होता है जो किसी भी बैक्टीरिया या वायरस के आसपास जमा हो जाता है और उसकी पहचान कराता है. और साथ ही उसे निष्क्रिय करने में भी मदद करता है. आपको बता दे की हॉर्स शू केकड़ों का खून उनके दिल के पास छेद करके निकाला जाता है. वैज्ञानिक एक केकड़े से उनका तीस फीसदी खून निकालकर उन्हें वापस समंदर में छोर देते है | जिसमे 10 से 30% केकड़े खून निकालने की प्रक्रिया में मर जाते हैं. आपको बता दे की जुलाई की शुरुआत में स्विट्जरलैंड(Switzerland) की दवा कंपनी लोंजा ने अपने कोविड-19 वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल को किया था |  जिसके लिए उन्हें भारी मात्रा में लिमुलस अमीबोसाइट लाइसेट (limulus amebocyte lysate) की जरूरत पड़ी , जो की उन्हें हॉर्सशू क्रैब से मिली | हलाकि ट्रायल के परिणाम अभी सामने नहीं आये है , तो देखना ये होगा की क्या हॉर्स शू केकरे से कोरोना की वैक्सीन बनायीं जा सकती है या नहीं।

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