मोदी सरकार अब इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) में अपनी और हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है.
यह बिक्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार के उस महत्वाकांक्षी योजना का ही हिस्सा होगा जिसके तहत इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में विनिवेश से सरकार 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.
गौरतलब है कि पिछले साल IRCTC का आईपीओ आने के बाद वैसे ही इसमें सरकार की हिस्सेदारी घटकर 87.40 फीसदी रह गई थी.
एक रिपोर्ट के अनुसार, विनिवेश विभाग ने IRCTC में हिस्सेदारी बेचने के लिए मर्चेंट बैंकर और सेलिंग ब्रोकर्स की नियुक्ति शुरू कर दी है.
यह बिक्री OFS के द्वारा की जाएगी. ओएफएस के लिए प्री-बिड मीटिंग हो चुकी है और अब बिडिंग प्रक्रिया 11 सितंबर से शुरू हो सकती है.
ऑफर फॉर सेल यानी ओ.एफ.एस रूट के द्वारा कोई लिस्टेड कंपनी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर खुद ही शेयर बेचती है. यह एक विशेष विंडो है जिसकी सुविधा सिर्फ टॉप 200 कंपनियों को ही मिलती है.
इसमें कम से कम 25 फीसदी शेयर म्यूचुअल फंड या बीमा कंपनियों जैसे संस्थागत निवेशकों के लिए रिजर्व रखने होते हैं |
शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.
गौरतलब है कि सितंबर 2019 में आए आईपीओ के द्वारा सरकार ने IRCTC में अपनी हिस्सेदारी 12.6 फीसदी घटा दी थी. पहले रेलवे के द्वारा सरकार की इसमें 100 फीसदी हिस्सेदारी थी.
IRCTC भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी है. IRCTC ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों की ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग के साथ ही यात्रा के दौरान भोजन आदि भी व्यवस्था करती है.
इसके अलावा, इसी कंपनी द्वारा देश में प्राइवेट ट्रेनों का संचालन भी किया जाता है.
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