महारष्ट्र में पिछले 6 महीने से बंद मंदिरों को खोलने को ले कर राजनीति शुरू हो गयी है| मंगलवार को मंदिर खोलने के मामले पर उद्धव ठाकरे और भगत सिंह कोश्यारी आमने-सामने आ गए|
मंदिरों को खोलने को ले कर दोनों ही आमने सामने आ गए और एक दूसरे को पत्र लिखे| महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल बी एस कोश्यारी को सूचित किया है कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा|
ठाकरे ने कोश्यारी के सोमवार को लिखे पत्र के जवाब में मंगलवार को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार इन स्थलों को पुन: खोलने के उनके अनुरोध पर विचार करेगी|
कोश्यारी ने अपने पत्र में कहा था कि उनसे तीन प्रतिनिधिमंडलों ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोले जाने की मांग की है।
ठाकरे ने अपने जवाब में कहा कि यह संयोग है कि कोश्यारी ने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे भाजपा पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं। कोश्यारी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हेंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, ‘‘क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं?’’
इसके जवाब में ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है|
ठाकरे ने कहा, ‘‘क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी|’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है।’
वैसे कुछ हद तक उद्धव ठाकरे की बात सही भी है पर पूरे देश में कोरोना केस लगातार बढ़ते जा रहे है इसके साथ ही पूरी दुनिया में भी पर उन्होंने अपने फाइनेंस और लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी जो सिर्फ टूरिस्ट प्लेस को बंद नहीं कर दिया गया है, सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक पेपर देते समय जब जिंदगी नहीं रुकती है तो आप मंदिर क्यू नहीं खोल सकते हैं|
लोगो की भावनाओं का ख्याल रखते हुए आपको मंदिर पूरी सावधानियों के साथ खोल देने चाहिए या उस पर गहन वीचार विमर्श किया जाना चाहिए|
News source- NavbharatTimes
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